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ग्वालियर न्यूज़- ग्वालियर नर्सिंग कॉलेज की जाँच कर रहा CBI अधिकारी हुआ बर्खास्त

ग्वालियर नर्सिंग कॉलेज की जाँच कर रहा CBI अधिकारी हुआ बर्खास्त

ग्वालियर नर्सिंग कॉलेज की जांच कर रही सीबीआई के अधिकारी की बर्खास्तगी के बाद अब उन 170 कॉलेज की दोबारा जांच करने की मांग की गई है।जिन्हें सीबीआई के अधिकारियों ने क्लीन चिट दे दी थी।आरोप है कि नर्सिंग कॉलेज के संचालकों से पैसा वसूल कर उन्हें सारी शर्तें पूरी नहीं करने के बावजूद क्लीन चिट दे दी गई है। नर्सिंग कॉलेज की मान्यता को लेकर जनहित याचिका दायर करने वाले दिलीप शर्मा बताते हैं कि बिना शर्तों को पूरा किया सांठगांठ के चलते कॉलेज संचालकों ने मान्यता हासिल कर ली थी। जबकि उनके यहां न तो खुद की बिल्डिंग है न ही फैकल्टी की व्यवस्था है।इसके अलावा अन्य जरूरी शर्तें भी ये कॉलेज संचालक पूरी नहीं कर रहे हैं। दरअसल ग्वालियर के अधिवक्ता दिलीप शर्मा ने एक जनहित याचिका करीब 2 साल पहले दायर की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि नर्सिंग कॉलेज के संचालकों ने भूतलक्षी प्रभाव यानी पिछले सत्र की मान्यता वर्तमान सत्र में हासिल की है। इसकी व्यापक जांच कराए जाने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने जब इस मामले की गंभीरता देखी तब उन्होंने नर्सिंग कॉलेज की सूची और मान्यता संबंधी जानकारी हासिल की। इसमें तमाम गड़बड़ियां पकड़ी गई। कई कॉलेज सिर्फ कागजों में ही चल रहे थे और कुछ कॉलेज गलत तरीके से मान्यता भी हासिल किए हुए थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया और उसे इन सभी 364 से ज्यादा कॉलेज की मान्यता और भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए। सीबीआई ने 170 कॉलेजों को अपनी ओर से क्लीन चिट दे दी थी ।जबकि सवा सौ कॉलेज गंभीर कर्मियों के कारण बंद कर दिए गए थे ।पिछले दिनों जब सीबीआई अफसर भोपाल में ट्रैप हुए तब इस मामले का खुलासा हुआ कि सीबीआई के अधिकारी ने गलत तरीके से इन कॉलेजों को क्लीन चिट दी है। इसके बाद याचिका कर्ता दिलीप शर्मा ने सीबीआई द्वारा क्लीनचिट दिए गए कॉलेज की पुन: जांच की मांग की है ।उन्होंने बताया कि कुछ कॉलेजों में मैरिज गार्डन चल रहे हैं कुछ के पास बिल्डिंग नहीं है तो एक ही बिल्डिंग में कई कॉलेज संचालित भी हो रहे हैं। इसलिए इस मामले की व्यापक जांच कराई जाने की जरूरत है ।फिलहाल मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर इन सभी याचिकाओं को जबलपुर ट्रांसफर कर दिया गया था। वहां सुनवाई लंबित है। कुछ नर्सिंग कॉलेज संचालक सुप्रीम कोर्ट से स्टे हासिल कर चुके हैं जबकि कुछ कॉलेज संचालकों को हाई कोर्ट ने परीक्षा कराने की भी छूट दे दी है लेकिन मान्यता संबंधी विषय पर कोई निर्देश जारी नहीं हुए हैं।

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