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Bangladesh में अंतरिम सरकार का गठन: नई चुनौतियाँ और संवैधानिक संकट आए सामने

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बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन: नई चुनौतियाँ और संवैधानिक संकट आए सामने

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन

बांग्लादेश की राजनीति इस समय एक अस्थिर दौर से गुजर रही है। देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आरक्षण आंदोलन के दबाव में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कैबिनेट भंग हो गई और संसद को भी भंग कर दिया गया। इस समय देश में शासन चलाने के लिए आवश्यक संवैधानिक ढांचा नहीं है, जिससे एक संवैधानिक संकट पैदा हो गया है।

बांग्लादेश में पिछले कुछ हफ्तों से आरक्षण के मुद्दे पर छात्र आंदोलन चल रहा था, जिसने देश की राजनीति में हलचल मचा दी। इस आंदोलन के दबाव में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। इसके बाद बांग्लादेश के सेनाध्यक्ष जनरल वकार-उज-जमान ने देश को अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की। इस सरकार की कमान नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को सौंपी गई है।

नई चुनौतियाँ और संवैधानिक संकट आए सामने

बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 57 के अनुसार, प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद कैबिनेट के सभी मंत्री भी स्वतः इस्तीफा दे चुके माने जाते हैं। इसके साथ ही कैबिनेट भंग हो जाती है। इसी के चलते राजनीतिक दलों की मांग के अनुसार, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद को भंग कर दिया।

हालांकि, बांग्लादेश में संविधान में अंतरिम सरकार का कोई प्रावधान नहीं है। यह स्थिति उस समय और जटिल हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाहक सरकार के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित कर दिया। 2009-14 के दौरान शेख हसीना के कार्यकाल में संविधान में 15वें संशोधन के जरिए इस प्रावधान को हटा दिया गया था।

इतिहास में अंतरिम सरकार और वर्तमान स्थिति

बांग्लादेश के इतिहास में अस्थायी सरकार का गठन 1991 में हुआ था, जब सैन्य तानाशाह हुसैन मुहम्मद इरशाद की सरकार एक विद्रोह के कारण गिर गई थी। उस समय न्यायमूर्ति शहाबुद्दीन अहमद को अस्थायी सरकार का प्रमुख बनाया गया था, और बाद में 11वें संशोधन के जरिए इसे संवैधानिक वैधता दी गई थी।

वर्तमान में, बांग्लादेश में ऐसा कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है जो अंतरिम सरकार को वैधता प्रदान कर सके। संविधान के जानकारों का मानना है कि संकट की स्थिति में एक अस्थायी प्रावधान बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए भविष्य में संवैधानिक मान्यता की आवश्यकता होगी।