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सैफ अली खान की भोपाल नवाबी संपत्ति: ₹15,000 करोड़ की विरासत पर संकट क्यों?

सैफ अली खान और उनका परिवार इन दिनों कानूनी विवादों में घिरा हुआ है। उनके भोपाल से जुड़े नवाबी संपत्ति के मामले ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। यह संपत्ति लगभग ₹15,000 करोड़ की बताई जा रही है, जिसमें ऐतिहासिक महत्व के कई महल और बंगले शामिल हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2015 में लगी रोक हटाकर इस संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968' (Enemy Property Act, 1968) के तहत लाने का रास्ता साफ कर दिया है।

मामला क्या है?

भोपाल की नवाबी संपत्ति, जिसे सैफ अली खान और उनके परिवार ने अपने पूर्वजों से विरासत में पाया है, अब भारत सरकार के कब्जे में जा सकती है। इस संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। विवाद की जड़ नवाब मोहम्मद हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान का पाकिस्तान प्रवास है।

आबिदा सुल्तान, जो भोपाल रियासत की संभावित उत्तराधिकारी थीं, ने भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने का फैसला किया। इस कारण से उनकी संपत्तियों को भारत सरकार के तहत 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दिया गया।

किन संपत्तियों की बात हो रही है?

भोपाल की इन ऐतिहासिक संपत्तियों में कई प्रमुख महल, बंगले और जमीनें शामिल हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. फ्लैग स्टाफ हाउस: नवाब परिवार का एक ऐतिहासिक बंगला।
  2. नूर-उस-सबह पैलेस: भोपाल का प्रसिद्ध महल, जिसे अब एक लग्ज़री होटल में बदल दिया गया है।
  3. दर-उस-सलाम: एक और ऐतिहासिक संपत्ति।
  4. हबीबी का बंगला
  5. अहमदाबाद पैलेस
  6. कोहेफिजा प्रॉपर्टी

शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 क्या है?

शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 का गठन भारत सरकार ने उन संपत्तियों को नियंत्रित करने के लिए किया था, जो भारत छोड़कर पाकिस्तान, चीन या अन्य 'दुश्मन देशों' में जाने वाले लोगों के पास थीं।

  • इस अधिनियम के तहत, वह संपत्ति जिसे 'शत्रु संपत्ति' घोषित किया जाता है, भारत सरकार के 'शत्रु संपत्ति के संरक्षक' (Custodian of Enemy Property) के पास रहती है।
  • यह अधिनियम उन संपत्तियों पर लागू होता है, जो उन व्यक्तियों या संस्थाओं से जुड़ी होती हैं, जिन्होंने 'दुश्मन देश' में नागरिकता ले ली हो।

2015 का विवाद और हाई कोर्ट का आदेश

साल 2015 में, भारत सरकार के 'शत्रु संपत्ति के संरक्षक' ने भोपाल नवाब की इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया। सैफ अली खान और उनकी मां, प्रसिद्ध अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, ने इस आदेश को कानूनी तौर पर चुनौती दी।
हालांकि, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अब इस मामले में लगी रोक को हटा दिया है और सैफ अली खान को निर्देश दिया है कि वे इस फैसले के खिलाफ प्राधिकरण के पास अपील दायर करें।

सरकार की मंशा: यह संपत्ति क्यों जब्त की जा रही है?

सरकार का मानना है कि चूंकि आबिदा सुल्तान ने पाकिस्तान जाकर वहां की नागरिकता ले ली थी, इसलिए उनके नाम से जुड़ी हुई संपत्ति भारत के लिए 'शत्रु संपत्ति' बन जाती है।

  • शत्रु संपत्ति अधिनियम के अनुसार, कोई भी संपत्ति, जो दुश्मन देश से जुड़े व्यक्ति के नाम पर हो, वह भारत सरकार के नियंत्रण में आ सकती है।
  • इस अधिनियम के तहत, भारत सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसी संपत्तियों को अपने कब्जे में ले सके।

सैफ अली खान और परिवार के लिए आगे का रास्ता

अब सवाल उठता है कि सैफ अली खान और उनका परिवार इस कानूनी लड़ाई को कैसे लड़ेंगे। उनके पास निम्नलिखित विकल्प हैं:

  1. प्राधिकरण के पास अपील:
    • हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सैफ अली खान इस मामले में 'शत्रु संपत्ति के संरक्षक' के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं।
    • यदि अपील सफल होती है, तो यह संपत्ति उनके परिवार के पास रह सकती है।
  2. सुप्रीम कोर्ट का सहारा:
  3. यदि प्राधिकरण उनके पक्ष में फैसला नहीं करता, तो परिवार सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे सकता है।

इतिहास और कानूनी दांवपेंच के बीच फंसा मामला

भोपाल की नवाबी संपत्ति का यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और भावनात्मक भी है। ये संपत्तियां केवल सैफ अली खान के परिवार की निजी संपत्ति नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी हिस्सा हैं।
सरकार की कार्रवाई का उद्देश्य जहां अधिनियम को लागू करना है, वहीं सैफ अली खान के लिए यह मामला उनकी पारिवारिक विरासत को बचाने का है।

निष्कर्ष

भोपाल की नवाबी संपत्ति पर विवाद एक लंबा और जटिल कानूनी मामला है। इसमें न केवल कानून के दांवपेंच हैं, बल्कि इतिहास, विरासत और भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सैफ अली खान और उनका परिवार इस मामले को कैसे संभालता है।
संपत्तियों का भविष्य क्या होगा, यह अदालत और प्राधिकरण के फैसले पर निर्भर करता है। लेकिन एक बात तय है, यह मामला आने वाले दिनों में और भी चर्चाओं में रहेगा।