मौलिक निधि खर्च का विश्लेषण
नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, 3 पार्षदों ने अपनी निधि का 100% उपयोग कर विकास कार्य कराए, जबकि 7 पार्षदों ने 95% तक का उपयोग किया। इसके विपरीत, 4 पार्षदों ने अपनी निधि पूरी तरह से अनछुई छोड़ दी।
जनता के वादे, काम अधूरे
चुनाव के समय जनता के बीच जाकर विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाले ये पार्षद अब अपने वादों से पीछे हटते नजर आ रहे हैं। यह स्थिति तब है जब मौलिक निधि बढ़ाने की मांग को लेकर निगम परिषद की बैठकों में हंगामा मचाने में ये पार्षद सबसे आगे रहे।
निधि खर्च न करने का असर
मौलिक निधि खर्च न करने से कई इलाकों में विकास कार्य ठप पड़े हैं। सड़क निर्माण, जल आपूर्ति, सफाई व्यवस्था और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं।
जनता में रोष
विकास कार्यों में देरी से जनता में नाराजगी बढ़ रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पार्षद चुनाव के बाद अपने वादों को भूल जाते हैं। उन्होंने मांग की है कि जो पार्षद निधि का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
उपयोग करने वाले पार्षदों की सराहना
दूसरी ओर, 100% और 95% तक निधि खर्च करने वाले पार्षदों की सराहना हो रही है। उन्होंने अपनी निधि से इलाकों में कई महत्वपूर्ण कार्य कराए हैं। इनमें सड़क निर्माण, सीवेज व्यवस्था सुधार, और पार्कों का निर्माण जैसे कार्य शामिल हैं।
प्रशासन की सख्ती की जरूरत
नगर निगम प्रशासन का कहना है कि पार्षदों को उनकी निधि का सही तरीके से उपयोग करने की जिम्मेदारी दी गई है। निधि का उपयोग न करने वाले पार्षदों को नोटिस भेजा जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
समस्या और समाधान
- समस्या: निधि खर्च न करना, विकास कार्यों में देरी।
- समाधान: निधि खर्च पर नियमित निगरानी, जवाबदेही तय करना।
निगम की अपील
निगम ने पार्षदों से अपील की है कि वे जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए निधि का सही और समय पर उपयोग करें। इसके साथ ही, जनता से भी आग्रह किया गया है कि वे अपने पार्षदों से जवाबदेही मांगें और विकास कार्यों पर ध्यान दें।
यह रिपोर्ट पार्षदों के कामकाज पर सवाल खड़े करती है और प्रशासन तथा जनता के बीच संवाद की जरूरत को उजागर करती है।