मध्य प्रदेश मानव तस्करी में 11वें स्थान पर: भोपाल में रेड, 8 बच्चों को किया मुक्त
मध्य प्रदेश में मानव तस्करी के मामले लगातार चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य देशभर में बच्चों और लड़कियों की खरीद-फरोख्त के मामलों में 11वें स्थान पर है। गरीबी और अशिक्षा जैसे मुद्दों के चलते, मानव तस्करी का दंश झेलने वालों में अधिकतर पीड़ित बच्चे और युवा लड़कियां हैं।
भोपाल में तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई
जनवरी 2025 में, भोपाल पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक घर में बच्चों को अवैध रूप से रखा गया है। त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मौके पर छापा मारा और 8 बच्चों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा: “हमें सूचना मिली थी कि इन बच्चों को ओडिशा, झारखंड, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ऊंची कीमतों पर बेचा जाने वाला था। गहन पूछताछ के बाद, यह पता चला कि लड़कियों को शादी और घरेलू काम के लिए और लड़कों को जबरन मजदूरी के लिए तैयार किया जा रहा था।”
मानव तस्करी में मध्य प्रदेश की भूमिका
- बच्चों की खरीद-फरोख्त: तस्कर भोपाल और अन्य जिलों से बच्चों को गरीबी का फायदा उठाकर बहला-फुसलाकर ले जाते हैं।
- लड़कियों की तस्करी: रिपोर्ट्स के अनुसार, ओडिशा, झारखंड, और महाराष्ट्र में ढाई लाख रुपये तक में लड़कियों को बेचा जा रहा है। इनका उपयोग शादी, यौन शोषण, और अन्य अमानवीय गतिविधियों में किया जाता है।
- ग्रामीण क्षेत्र अधिक प्रभावित: तस्करी के सबसे अधिक मामले राज्य के आदिवासी और पिछड़े जिलों से सामने आते हैं।
पिछले मामलों पर नजर
- झाबुआ मामला: दिसंबर 2024 में, 12 लड़कियों को राजस्थान और गुजरात में जबरन शादी के लिए भेजने की योजना को विफल किया गया था।
- सागर जिले में घटना: एक अस्पताल पर छापा मारकर नाबालिग लड़की को बचाया गया, जिसे अवैध तरीके से खरीद-फरोख्त के लिए रखा गया था।
सरकारी प्रयास और चुनौतियां
मानव तस्करी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। ‘मुख्यमंत्री बाल सुरक्षा योजना’ और ‘महिला एवं बाल विकास विभाग’ द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। हालांकि, इन प्रयासों को सफल बनाने के लिए प्रशासनिक कड़ाई और लोगों की भागीदारी आवश्यक है।
पुलिस और प्रशासन की अपील
पुलिस ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को भी बच्चों या लड़कियों की तस्करी से जुड़ी जानकारी मिले, तो तुरंत 1098 चाइल्डलाइन या स्थानीय पुलिस स्टेशन पर संपर्क करें।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में मानव तस्करी की बढ़ती घटनाएं सामाजिक और कानूनी दृष्टि से एक गंभीर चुनौती हैं। इस समस्या का समाधान केवल कानून लागू करने से नहीं होगा, बल्कि समाज को भी इस दिशा में जागरूक और सक्रिय भूमिका निभानी होगी। बच्चों और लड़कियों का भविष्य बचाने के लिए सभी को मिलकर कदम उठाने होंगे।