MP में 100 साल पहले 'कागजों' से पकड़े गए शेर: सिंधिया महाराज की अनोखी तरकीब
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से चीतों को बसाने की आधुनिक पहल ने इतिहास के एक अनोखे पन्ने को फिर से जीवंत कर दिया है। करीब 120 साल पहले, ग्वालियर की सिंधिया रियासत के तत्कालीन महाराज माधव राव सिंधिया ने अफ्रीका से शेर लाकर यहां की धरती पर एक नई कहानी लिखी थी।
अफ्रीकी शेरों का आगमन
महाराज माधव राव सिंधिया ने अफ्रीका से शेर लाने की योजना बनाई थी। यह ऐतिहासिक कदम उस समय रोमांचक और जोखिमभरा था। शेरों को रियासत में लाने के बाद, उन्हें विशेष जंगलों में छोड़ा गया, लेकिन समय के साथ ये शेर आदमखोर हो गए।
महाराज की तरकीब
इन आदमखोर शेरों से बचने के लिए लोग इन्हें मारने की अनुमति चाहते थे, लेकिन महाराज ने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने शेरों को पकड़ने के लिए एक अनोखी और रचनात्मक तरकीब निकाली। स्थानीय विशेषज्ञों की मदद से 'कागज के जाल' का उपयोग कर शेरों को पकड़ने की योजना बनाई गई।
'कागज के जाल' की यह तरकीब असल में शेरों को एक विशेष घेराबंदी में फंसाने के लिए तैयार की गई थी। यह तरीका न केवल शेरों को सुरक्षित पकड़ने में कारगर रहा, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने का भी उदाहरण बना।
IFS मीट में हुआ खुलासा
हाल ही में ग्वालियर में आयोजित IFS (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) की एक बैठक में इस ऐतिहासिक घटना पर चर्चा हुई। वन्यजीव विशेषज्ञों ने इस घटना को साझा करते हुए कहा कि सिंधिया महाराज ने वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन में अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया।
मध्य प्रदेश: वन्यजीव संरक्षण की धरोहर
120 साल पहले की यह घटना बताती है कि मध्य प्रदेश में वन्यजीवों को बचाने और उनके साथ सह-अस्तित्व बनाए रखने की परंपरा कितनी पुरानी है। आज, कूनो में अफ्रीकी चीतों को बसाने की योजना इसी ऐतिहासिक विरासत को आगे बढ़ा रही है।
यह घटना न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि वन्यजीव संरक्षण में अनोखे और रचनात्मक उपाय कितने कारगर हो सकते हैं।
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