Suchir Balaji | एक दूरदर्शी OpenAI | Whistleblower जिन्होंने AI नैतिकता की लड़ाई लड़ी
आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव हर क्षेत्र में दिख रहा है। लेकिन इस तकनीकी क्रांति के साथ नैतिकता, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे मुद्दे भी सामने आते हैं। इन विषयों पर गहन चिंतन करने वाले व्यक्तित्वों में से एक थे सचिर बालाजी। 26 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक सचिर बालाजी, जो OpenAI में एक प्रमुख शोधकर्ता थे, अपनी तकनीकी उपलब्धियों के साथ-साथ अपनी साहसी और ईमानदार सोच के लिए याद किए जाएंगे।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
सचिर बालाजी का जन्म भारतीय मूल के परिवार में हुआ और उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री 2021 में पूरी की। अपने शैक्षणिक करियर के दौरान, उन्होंने प्रोग्रामिंग प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा के लिए ख्याति अर्जित की। 2018 के ACM ICPC वर्ल्ड फाइनल्स में उन्होंने 31वां स्थान हासिल किया, जबकि 2017 के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट रीजनल और बर्कले प्रोग्रामिंग प्रतियोगिताओं में उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया। उनके सफलता के सफर में कग्गल की TSA-प्रायोजित "पैसेंजर स्क्रीनिंग एल्गोरिदम चैलेंज" में $100,000 का पुरस्कार जीतना भी शामिल है।
अपने कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने AI के क्षेत्र में गहरी रुचि विकसित की और OpenAI व Scale AI जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में इंटर्नशिप की। उनकी इस शुरुआती मेहनत ने उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में एक मजबूत आधार प्रदान किया।
OpenAI में योगदान
सचिर बालाजी ने OpenAI में चार वर्षों तक काम किया और कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में योगदान दिया। उन्होंने WebGPT के विकास में अहम भूमिका निभाई, GPT-4 के प्री-ट्रेनिंग टीम में काम किया, और ChatGPT के रीज़निंग और पोस्ट-ट्रेनिंग प्रक्रिया में भी योगदान दिया। उनके इन कार्यों ने AI की क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
नैतिकता और AI की चुनौतियां
हालांकि, बालाजी की सफलता केवल उनकी तकनीकी उपलब्धियों तक सीमित नहीं थी। उन्होंने OpenAI में काम करते हुए यह महसूस किया कि AI के विकास के साथ कुछ गंभीर नैतिक और सामाजिक समस्याएं भी जुड़ी हुई हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने आरोप लगाया कि OpenAI ने अपने मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए कॉपीराइट डेटा का उपयोग किया है, जिससे समाज को संभावित रूप से नुकसान हो सकता है।
बालाजी का मानना था कि AI तकनीक का इस्तेमाल अगर सही दिशा में न किया जाए, तो यह समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। उनकी यह सोच उन्हें अन्य तकनीकी विशेषज्ञों से अलग बनाती है।
दुखद अंत
26 नवंबर, 2024 को सचिर बालाजी अपने सैन फ्रांसिस्को स्थित अपार्टमेंट में मृत पाए गए। सैन फ्रांसिस्को ऑफिस ऑफ द चीफ मेडिकल एग्ज़ामिनर ने उनकी मौत को आत्महत्या घोषित किया। यह दुखद घटना उस समय हुई जब एक दिन पहले उनका नाम एक कॉपीराइट मुकदमे में सामने आया था। यह स्पष्ट नहीं है कि मुकदमे का उनके मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ा, लेकिन उनकी मृत्यु ने तकनीकी क्षेत्र और समाज में गहरी संवेदनाएं उत्पन्न कीं।
सचिर बालाजी की विरासत
सचिर बालाजी की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीकी नवाचार के साथ नैतिकता और पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है। उनका साहसिक कदम और OpenAI की आलोचना यह दिखाते हैं कि उन्होंने अपने करियर और प्रतिष्ठा से अधिक समाज के हित को महत्व दिया। उनकी विरासत AI तकनीक को नैतिक और जिम्मेदार ढंग से विकसित करने की प्रेरणा देती है।