जाने कब है गंगा दशहरा 2024 में और क्यों मानते है यह पर्व DIGITAL GWALIOR NEWS IN HINDI KE SATH
जाने कब है गंगा दशहरा | और क्यों मानते है यह पर्व साथ ही जाने गंगा स्नान का शुभ महूरत
जाने कब है गंगा दशहरा | और क्यों मानते है यह पर्व साथ ही जाने गंगा स्नान का शुभ महूरत
दोस्तों ज्येष्ठ माह में कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं जिसमें विशेष कर होते हैं जैसे कि सावित्री व्रत, शनि देव जयंती, आपला एकादशी, के साथ कई बड़े-बड़े त्यौहार जिसमें से एक गंगा दशहरा भी होता हैं
आइये जानते है गंगा दशहरा क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व होता है
ज्येष्ठ माह में कई सारे विशेष त्योहारों को मनाया जाता है जिसमें से बट सावित्री व्रत, शनि देव जयंती, आपला एकादशी और ऐसे ही कईसारे बड़े पर्व हैं जिनमें से एक गंगा दशहरा भी है गंगा दशहरा ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दसमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है इस दिन सुबह गंगा नदी में स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते है आईए जानते हैं कि यह इतना खास क्यों होता है धार्मिक मान्यताओ के अनुसार गंगा जी में डुबकी लगाना एक बहुत ही विशेष और पुण्य का कार्य होता है जिसमें विशेष कर गंगा दशहरा को लोग गंगा नदी में स्नान करने जाते हैं गंगा नदी की मान्यता यह है की गंगा नदी में यदि कोई व्यक्ति स्नान करता है तो उसके सारे पाप कट जाते तथा उसको पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है इसके साथ अन्य मान्यताएं भी चली आ रही है गंगा माता को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है यह माना जाता है की गंगा नदी शिवजी की जटाओं से निकलती है इसलिए इस दिन शिव जी की भी पूजा अर्चना करते हैं
आइये जानते है की गंगा दशहरा इस साल कितनी तरीक को मनाया जाएगा
इस साल गंगा दशहरा 16 जून को मनाया जाएगा इस दिन गंगा स्नान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7:00 बजे दशहरा में स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 7:00 से 10:30 तक का रहेगा
अब जानते हैं गंगा दशहरा की पूजन विधि
गंगा दशहरा पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करके लोग स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल अर्पण करते हैं यह दिन काफी शुभ माना जाता है इस शुभ दिन पर गंगा मां के साथ-साथ से भगवान शिव की भी पूजा की जाती है यह पूजन विधि पूरे विधि विधान से लोग करते हैं इस दौरान गंगा स्तोत्र आदि का पाठ भी किया जाता है और पूजा अर्चन करने इस दौरान गंगा स्तोत्र का तथा शिव स्तोत्र का और शिव चालीसा का भी पाठ किया जाता है तथा गंगा जी की कहानी भी सुनी जाती है
कहानी कुछ इस प्रकार है
गंगा दशहरा की कहानी - प्राचीन काल में अयोध्या में के राजा सागर एक प्रतापी व महान राजा राज्य करते थे
तथा उनकी कोशिश और समिति नामक दो रानियां थी पहले रानी का एक पुत्र था परंतु दूसरी रानी समिति के साथ 7000 पुत्र थे
एक बार राजा सागर ने अश्वमेध यज्ञ किया
इंद्रा इस यज्ञ को भांग करना चाहते थे इंद्र ने यज्ञ को भंग करने के लिए छोड़ा गया अश्व को कपिल मुनि के आश्रण में छिपा दिया जिसकी खबर कपिल मुनि को नहीं थी
राजा ने अश्व को खोजने के लिए अपने 7000 पुत्रों को भेजा परन्तु अश्व कही नहीं मिला जब राजा के 7000 पुत्र कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचे तो वहां उन्होंने कपिल मुनि को तपस्या करते हुए देखा उन्हीं के पास महाराज सागर का अश्व था ऐसा देखते ही सगरपुत्र चोर चोर चिल्लाने लगे इससे महर्षि कपिल की समाधि टूट गई
जैसी ही महर्षि कपिल की समाधि टूटी उनके नेत्र की ज्वाला से 7000 पुत्र नष्ट हो गए जब राजा कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचा और अपने सारे पुत्रों को देखकर काफी दुखी हुआ तब गुरु जी ने यह भी बताया है यदि इन सब की मुक्ति चाहते हो तो गंगा जी को स्वर्ग से धरती पर लाना पड़ेगा इस समय अश्व को ले जाकर अपने यज्ञ को पूर्ण करो उसके बाद सागर पौत्र अंशुमान द्वारा अपने पूर्वजो को मोक्ष की प्राप्ति के लिए उन्होंने और उनके पुत्र दिलीप ने जीवन पर्याप्त तपस्या की फिर भी गंगा जी को मृत्यु लोक में ना ला सके अंत में महाराज दिलीप के पुत्र भागीरथ ने गंगा जी को इस लोक में लाने के लिए
कठोर तपस्या किया तप से प्रसन्न होकर ब्रह्म जी ने वर मांगने को कहा भागीरथ ने वर में गंगा जी को मांगा भागीरथ के द्वारा गंगा जी को मांगने पर ब्रह्मा जी ने कहा राजन तुम गंगा को पृथ्वी पर ले तो जाना चाहते हो
पर गंगा जी के बैग को संभालना इतना भी आसान नहीं है केवल शिवजी में ही वो बल है
उचित होगा की तुम की आराधना कर उनसे गंगा जी का भार संभालने की बिनती करो भगवान शिव जी कृपालु है बो तुम्हारी विनती अवश्य सुनेगे
महाराज भगीरथ ने वैसा ही किया भगवान शिव से गंगा जी को अपनी जटाओं में धारण करने की विनती की
भागीरथ की गंगा जी को पृथ्वी पर लाने की कोशिश सफल हुई
भगीरथ द्वारा गंगा जी को पृथ्वी पर लेन से गंगा जी का एक नाम भागीरथी भी है
दोस्तों अब जानते हैं की गंगा जी में स्नान करने से कौन-कौन से पाप नष्ट होते है
जैसे कि आप जानते हैं की गंगा नदी में स्नान करने से लोगों के चर्म रोग और अन्य रोगों ठीक हो जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है इसके साथ गंगा नदी में स्नान करने से सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है इस दिन सुबह 10:00 बजे तक ही शुभ मुहूर्त रहेगा जब आप गंगा नदी में स्नान कर सकते हैं
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