नर्सिंग कॉलेजों में स्टे के बावजूद हुए एडमिशन: हाईकोर्ट ने दी अंतिम मोहलत
जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर शैक्षणिक सत्र 2022-23 में जीएनएम (GNM) पाठ्यक्रम में प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन बावजूद इसके छात्रों को रजिस्ट्रार के आदेश पर दाखिला दे दिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह उन छात्रों के नामांकन के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करे। सरकार की ओर से समय की मांग करने पर, जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस ए.के. पालीवाल की युगलपीठ ने अंतिम मोहलत देते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई तो सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएंगे।
गड़बड़ी करने वाले को ही रजिस्ट्रार कैसे बनाया?
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल द्वारा दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के संचालन को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि नर्सिंग घोटाले में संलिप्त एक निरीक्षक को काउंसिल का रजिस्ट्रार बना दिया गया और तत्कालीन निदेशक को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।
याचिका में आरोप लगाया गया कि ये दोनों अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि वर्तमान रजिस्ट्रार अनीता चंद्र, जो पहले भोपाल के एक नर्सिंग कॉलेज की निरीक्षण अधिकारी थीं, ने इस कॉलेज को मान्यता देने की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। बाद में इस कॉलेज को अयोग्य पाया गया और उसकी मान्यता निरस्त कर दी गई।
हटाने के आदेश का पालन नहीं हुआ
हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि वर्तमान अध्यक्ष जितेश चंद्र शुक्ला उस समय काउंसलिंग के निदेशक थे। युगलपीठ ने दोनों अधिकारियों को तत्काल पद से हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि आदेश के बावजूद दोनों अधिकारियों को नहीं हटाया गया।
इस लापरवाही पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि 24 घंटे के भीतर दोनों अधिकारियों को हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
सीबीआई जांच की संभावना
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि अगली सुनवाई तक सरकार द्वारा उचित जानकारी प्रस्तुत नहीं की जाती है तो इस मामले को सीबीआई को सौंपने पर विचार किया जाएगा। कोर्ट का यह रुख प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त अनियमितताओं पर कड़ा संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है।