उन्हें "ठगों का देवता" भी कहा जाता था, क्योंकि देवता का एक अर्थ अमरता भी होता है। नटवरलाल के अंतिम दिनों के बाद से उन्हें कभी नहीं देखा गया, जिससे उनकी मृत्यु को लेकर रहस्य बना हुआ है। अगर वे जीवित होते, तो उनकी उम्र लगभग 110 वर्ष होती। हालांकि, अपराध की दुनिया में किसी अपराधी की मृत्यु तभी मानी जाती है जब उसका स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध हो।
नटवरलाल के वकील ने अदालत में बताया कि उनकी मृत्यु 25 जुलाई 2009 को हो गई थी, और उनके छोटे भाई गंगा प्रसाद ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार किया गया था। फिर भी, अदालत में उनकी मृत्यु और अंतिम संस्कार का कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया। इसी कारण से नटवरलाल को अमर समझा जाता है।
आज भी नटवरलाल की मृत्यु का रहस्य बरकरार है।