"दिवाली 2024: दूर कीजिए कन्फ्यूजन जानिए किस दिन मनाई जाएगी दिवाली | समृद्धि पाने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय"
दिवाली 2024 की तिथि: इस 5-दिवसीय पर्व के सभी अनुष्ठानों और परंपराओं के बारे में जानें दीपावली, जिसे दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्रमुख और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की, और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है।
दिवाली 2024 की तिथि: इस 5-दिवसीय पर्व के सभी अनुष्ठानों और परंपराओं के बारे में जानें
दीपावली, जिसे दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्रमुख और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की, और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। दिवाली न केवल एक त्यौहार है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो लोगों के बीच खुशी, भक्ति और सामूहिक एकता की भावना को और भी प्रगाढ़ कर देता है। यह पर्व भारत की प्राचीन परंपराओं, रंगीन अनुष्ठानों, जीवंत उत्सवों और आध्यात्मिक गतिविधियों से भरी एक महान धरोहर है।
दिवाली का महत्व और इसकी प्राचीन परंपराएं
प्राचीन मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ी दिवाली का बहुत गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। 'दीपावली' का शाब्दिक अर्थ होता है "दीयों की एक पंक्ति"। यह पर्व घरों और आस-पास के क्षेत्रों को रोशनी से जगमगाने का त्योहार है, जिसमें तेल के दीये जलाकर खुशियों और समृद्धि को आमंत्रित किया जाता है। यह पर्व भगवान राम की रावण पर विजय प्राप्त करने के उपरांत अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है। दीयों की जलती हुई लौ बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है। इसके अलावा, यह त्यौहार देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं, और भगवान गणेश, जो बाधाओं को हराने वाले और बुद्धि के प्रदाता हैं, की पूजा के लिए भी समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से घर में समृद्धि, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।
दिवाली 2024: तारीखें और पांच दिवसीय उत्सव का सारांश
दिवाली का उत्सव पाँच दिनों तक चलता है और प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व और परंपराएं होती हैं:
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धनतेरस (31 अक्टूबर, 2024): यह पहला दिन समृद्धि और धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए समर्पित होता है। इस दिन लोग परंपरागत रूप से नए बर्तन, आभूषण और अन्य कीमती सामान खरीदते हैं, जो आने वाले वर्ष में सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है।
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नरक चतुर्दशी (1 नवंबर, 2024): जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन लोग घर की सफाई करते हैं और अपने चारों ओर की नकारात्मकता और बुराई का अंत करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत को समर्पित है।
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दीपावली (मुख्य दिवाली) (2 नवंबर, 2024): यह पर्व का मुख्य दिन है जब देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन को खास बनाने के लिए लोग अपने घरों को दीपों, सजावटी लाइटों, और रंगोलियों से सजाते हैं। परिवार एक साथ मिलकर पूजा करते हैं और देवी लक्ष्मी से धन, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
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गोवर्धन पूजा (3 नवंबर, 2024): यह दिन भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों का प्रसाद बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं।
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भाई दूज (4 नवंबर, 2024): दीपावली का पाँचवां और अंतिम दिन भाई-बहन के प्रेम और बंधन का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, खुशियों और सफलता की प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उनकी रक्षा और देखभाल का वचन देते हैं। इस अवसर पर उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है
दिन और तिथि का विवाद
हिन्दू परंपरा में दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि ऐसे में अमावस्या की तिथि के अनुसार कुछ विद्वान या पंडित दिवाली 31 अक्टूबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं तो वहीं कुछ 1 नवंबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं। बता दें, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल अमावस्या तिथि एक दिन से अधिक समय तक है।
31 अक्टूबर को मनाने का तर्क: कुछ लोग मानते हैं कि चूंकि अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की शाम से ही शुरू हो जाती है, इसलिए दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनानी चाहिए।
1 नवंबर को मनाने का तर्क: कुछ अन्य लोग मानते हैं कि चूंकि अमावस्या तिथि का अधिकांश समय 1 नवंबर को है और तिथि का सूर्योदय भी इसी दिन है, इसलिए उदयातिथि नियम से दिवाली 1 नवंबर को ही मनानी चाहिए।
बात दें कि दिवाली की सही तिथि को लेकर आचार्यों, पंडितों, ज्योतिषियों के अलग-अलग मत हैं। इस कारण भी पब्लिक तिथि को लेकर दो गुटों में बंटी हुई।
दिवाली 2024 की सही तिथि को लेकर विद्वान आचार्यों के तर्क
अयोध्या, काशी, मथुरा और देवघर के विद्वान आचार्यों और पंडितों के मुताबिक, मां लक्ष्मी-श्रीगणेश पूजन और दीपोत्सव 31 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल में ही मनाना सही है। वहीं धनतेरस पूजा और खरीदारी 29 अक्टूबर को उचित है। बता दें कि बांके बिहारी मंदिर वृंदावन (यूपी), श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा (राजस्थान), तिरुपति देवस्थानम (आंध्र प्रदेश) और द्वारकाधीश मंदिर (गुजरात ) में भी दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाए जाने की बात की जा रही है |
बता दें, अवध यानी अयोध्या की दिवाली की तिथि पूरे देश में मान्य होती है, क्योंकि दिवाली का त्योहार भगवान श्रीराम के अयोध्या वापसी पर कार्तिक मास की अमावस्या तिथि की रात में मनाया गया था।
दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त
इस बार दिवाली पर पूजन के लिए दो मुहूर्त मिलेंगे। पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है। इस दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 से रात्रि 08 बजकर 11 मिनट के बीच रहेगा, जिसमें वृषभ काल शाम 6 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसमें भी मां लक्ष्मी का पूजन किया जा सकता है।
अमावस्या तिथि आरंभ - 31 अक्टूबर 2024 को शाम 03:52 बजे अमावस.. अमावस्या तिथि समाप्त - नवंबर 01, 2024 को शाम 06:16 बजे प्रदोष काल - शाम 05:12 बजे से. 07:43 PM लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 05:12 बजे से. 06:16 PM वृषभ मुहूर्त- शाम 06:00 बजे से. 07:59 अपराह्न
लक्ष्मी पूजा 2024 का विशेष शुभ मुहूर्त
जहां तक दिवाली 2024 के मौके पर लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे विशेष शुभ मुहूर्त की बात है, तो यह 31 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 15 मिनट के बीच का समय रहेगा। इस प्रकार मां लक्ष्मी, भगवान श्रीगणेश, ऋद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ सहित दिवाली पर पूजित सभी देवों के पूजन के लिए 41 मिनट का समय प्राप्त होगा |
दिवाली के समारोह और पारंपरिक उत्सव कैसे मनाए जाते हैं
दीये जलाना और रंगोली सजाना: दीपावली पर दीयों की रोशनी और रंगोली सजाने की परंपरा का विशेष महत्व है। तेल के दीये जलाना इस पर्व की एक मुख्य विशेषता होती है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक मानी जाती है। घरों के दरवाजों और आंगनों में रंगोली बनाई जाती है, जो रंगीन पाउडर, फूलों और चावल से बनाई जाती है, ताकि आगंतुकों और देवताओं का स्वागत हो सके।
उपहार और मिठाइयों का आदान-प्रदान: दिवाली का त्योहार अपने प्रियजनों के साथ खुशियां और प्रेम बांटने का समय होता है। इस अवसर पर परिवार, मित्रों और पड़ोसियों के बीच मिठाइयों, उपहारों और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान होता है। लड्डू, बर्फी, काजू कतली और गुलाब जामुन जैसी मिठाइयां त्योहार की शान बढ़ा देती हैं।
लक्ष्मी-गणेश पूजा और अनुष्ठान: इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य मानी जाती है। लोग घर में लक्ष्मी पूजा करते हैं, जिसमें देवी लक्ष्मी से वित्तीय समृद्धि, सुख और शांति के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है। भगवान गणेश को बाधाओं को दूर करने वाले और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है।
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दिवाली पर ध्यान रखने वाली बातें:
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घर की साफ-सफाई का ध्यान रखें: दिवाली पर घर को अच्छी तरह से साफ करें और साफ-सुथरा रखें।
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टूटी-फूटी चीज़ें हटा दें: घर में किसी भी टूटी-फूटी वस्तु को दिवाली से पहले हटा दें।
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नाखून और बाल न काटें: दिवाली के दिन नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए।
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जुआ और शराब से बचें: इस दिन जुआ खेलना और शराब पीना सही नहीं माना जाता है।
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मांस-मछली का सेवन न करें: दिवाली पर मांस-मछली खाने से परहेज करना चाहिए।
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पूजा के समय धैर्य रखें: पूजा के दौरान जोर-जोर से ताली बजाना या ऊंची आवाज़ में आरती गाना नहीं चाहिए।
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पूजा की चौकी की दिशा: पूजा की चौकी को घर के पूर्व दिशा या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखें।
पटाखे जलाने के दौरान ध्यान रखने वाली बातें:
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घर के अंदर पटाखे न जलाएं: हमेशा खुले स्थान पर ही पटाखे जलाएं।
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भीड़भाड़ से बचें: भीड़भाड़ वाले स्थानों में पटाखे नहीं जलाएं।
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सुरक्षा का ध्यान रखें: पटाखे जलाते समय माचिस, मोमबत्ती, और दीपक को दूर रखें और बच्चों को मास्क पहनाएं।
दिवाली पर मिठाई और खान-पान पर ध्यान दें:
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मिठाइयों की जांच करें: दिवाली पर खरीदी जाने वाली मिठाइयों की गुणवत्ता की जांच जरूर करें ताकि वे नकली न हों।
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घर पर मिठाइयां बनाएं: बाजार की मिठाइयों के बजाय घर पर बनी मिठाइयां खाएं और कम तेल का उपयोग करें।
बच्चों का ध्यान रखें:
रंगोली बनाते समय सावधानी बरतें:
धन-समृद्धि के उपाय:
गोमती चक्र का प्रयोग: आर्थिक तंगी से बचने के लिए दिवाली की रात को 9 गोमती चक्र मां लक्ष्मी को अर्पित करें और फिर अपनी तिजोरी में रखें।
दिवाली का सार और उसकी महत्ता
दिवाली 2024 सिर्फ़ रोशनी का त्यौहार नहीं है; यह जीवन की समृद्धि, सुख-शांति, और बुराई पर अच्छाई की शाश्वत विजय का उत्सव है। जब लोग इस अवसर पर मिलकर एकत्रित होते हैं, तो वे एकता, प्रेम, और दयालुता के मूल्यों का आदान-प्रदान करते हैं। यह त्योहार हमें अपने जीवन के अंधेरे कोनों को रोशनी से भरने, खुशियों को साझा करने और अपने परिवार तथा समाज के साथ अपने संबंधों को और भी मजबूत करने की प्रेरणा देता है। दीयों की जगमगाहट के साथ, यह पर्व हमें हमारे अंदर की सकारात्मक ऊर्जा को जागृत करने, हमारी समृद्धि के लिए आभारी होने, और दूसरों के साथ खुशियाँ बांटने की प्रेरणा प्रदान करता है।
इन सभी सुझावों का पालन कर दिवाली का त्यौहार खुशी, सुरक्षा और समृद्धि के साथ मनाएं