ग्वालियर समाचार अपडेट 23 दिसंबर की ताजा हिंदी खबरें
Digital Gwalior News: ग्वालियर और उसके आसपास के क्षेत्रों की प्रमुख घटनाओ को डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म के माध्यम से दिखता है | यह पोर्टल अपराध, राजनीति, वर्तमान घटनाओं और स्थानीय समस्याओं से जुड़ी खबरें प्रकाशित करता है। ग्वालियर समाचार अपडेट 23 दिसंबर की ताजा हिंदी खबरें इस प्रकार से है | ग्वालियर शहर में 28 दिन पहले हुई 5 लाख रुपये की लूट के बाद से पुलिस 'कटिहार गैंग' की तलाश में जुटी हुई है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 4 के पास स्थित एक होटल के बाहर चार महिलाओं के बीच विवाद ने हंगामे का रूप ले लिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से हाल ही में घोषित की गई मंडल अध्यक्षों की सूची में हुए संशोधन ने विवाद खड़ा कर दिया है।
कैग रिपोर्ट: नवजातों के लिए दवाओं की कमी, ग्वालियर में 5 लाख की लूट से कटिहार गैंग का कनेक्शन
ग्वालियर शहर में 28 दिन पहले हुई 5 लाख रुपये की लूट के बाद से पुलिस 'कटिहार गैंग' की तलाश में जुटी हुई है। ग्वालियर पुलिस ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, बिहार और दिल्ली समेत पांच राज्यों में खाक छानी, लेकिन शातिर अपराधियों को पकड़ने में अब तक कामयाबी नहीं मिली।घटना 28 दिन पहले ग्वालियर के पॉश इलाके में हुई थी। अपराधियों ने बड़ी ही चतुराई से पांच लाख रुपये से भरा बैग लूट लिया और मौके से फरार हो गए। प्रारंभिक जांच में पता चला कि इस अपराध के पीछे बिहार की कुख्यात 'कटिहार गैंग' का हाथ हैग्वालियर पुलिस ने गैंग का सुराग लगाने के लिए करीब 3500 किलोमीटर का सफर तय किया।
ग्वालियर पुलिस ने गैंग का सुराग लगाने के लिए करीब 3500 किलोमीटर का सफर तय किया।
- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में छानबीन: पुलिस ने यूपी और उत्तराखंड में गैंग से जुड़े संभावित ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन वहां से कोई ठोस जानकारी नहीं मिली।
- ओडिशा और दिल्ली में इनपुट्स: ओडिशा और दिल्ली में पुलिस को कुछ सुराग मिले, लेकिन अपराधी हमेशा पुलिस से एक कदम आगे निकले।
- बिहार में कटिहार गैंग का नेटवर्क: गैंग का मुख्य ठिकाना बिहार के कटिहार जिले में है। यहां भी पुलिस की पूरी टीम ने व्यापक जांच की, लेकिन अपराधी पकड़ में नहीं आए।
होटल के बाहर महिलाओं का झगड़ा: देह व्यापार की आशंका पर पुलिस ने दबोचा
रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 4 के पास स्थित एक होटल के बाहर चार महिलाओं के बीच विवाद ने हंगामे का रूप ले लिया। झगड़े के दौरान उनकी बातचीत में "कस्टमर" जैसे शब्द सुनाई देने पर स्थानीय लोगों को उनकी गतिविधियों पर संदेह हुआ। घटना के चलते मौके पर भीड़ जमा हो गई।रविवार शाम को रेलवे स्टेशन के पास एक होटल के बाहर चार महिलाएं एक-दूसरे पर चिल्लाते हुए झगड़ रही थीं। उनकी ऊंची आवाजें सुनकर राहगीरों ने रुककर घटना पर ध्यान दिया। महिलाओं के बीच हो रही बातचीत में "कस्टमर" और अन्य संदिग्ध शब्द सुनाई देने से लोगों को संदेह हुआ कि मामला देह व्यापार से जुड़ा हो सकता है।
ग्वालियर में भाजपा मंडल अध्यक्ष के नाम में संशोधन पर हंगामा: राठौर समाज का विरोध प्रदर्शन
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से हाल ही में घोषित की गई मंडल अध्यक्षों की सूची में हुए संशोधन ने विवाद खड़ा कर दिया है। स्वामी विवेकानंद मंडल के अध्यक्ष नरसिंह राठौर का नाम हटाकर सिंधिया समर्थक को पद सौंपे जाने से राठौर समाज में आक्रोश है। रविवार को भाजपा कार्यालय में विरोध प्रदर्शन के दौरान माहौल गर्म हो गया।भाजपा ने हाल ही में अपने मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की थी, जिसमें विवेकानंद मंडल के अध्यक्ष के तौर पर नरसिंह राठौर का नाम शामिल था।
कुछ ही दिनों बाद भाजपा ने इस नाम में संशोधन कर पद सिंधिया समर्थक को सौंप दिया।
इस फैसले से राठौर समाज और उनके समर्थकों में गुस्सा फूट पड़ा।रविवार को राठौर समाज के कई लोग भाजपा कार्यालय पहुंचे और इस बदलाव का विरोध किया।
प्रदर्शनकारियों ने पार्टी के फैसले को अन्यायपूर्ण बताते हुए जमकर नारेबाजी की।
उन्होंने मांग की कि नरसिंह राठौर को पद पर पुनः बहाल किया जाए।
प्रदर्शन के कारण कार्यालय परिसर में गहमागहमी का माहौल बन गया।
कैग रिपोर्ट में खुलासा: जिला अस्पतालों में नवजातों के लिए जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी
नवजात शिशुओं की देखभाल और इलाज के लिए ग्वालियर के जिला अस्पताल मुरार और केआरएच में संचालित सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) की स्थिति चिंताजनक है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इन अस्पतालों में नवजात शिशुओं के लिए आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं का आधा स्टॉक भी उपलब्ध नहीं है।
दवाओं की कमी: रिपोर्ट में बताया गया है कि एसएनसीयू में नवजात शिशुओं के इलाज में उपयोगी दवाओं का स्टॉक जरूरत के आधे से भी कम है।
आधुनिक उपकरणों की अनुपलब्धता: देखभाल के लिए आवश्यक आधुनिक उपकरणों की कमी भी सामने आई है।
प्रशिक्षित स्टाफ का अभाव: नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की भी कमी है। कैग की रिपोर्ट ने यह भी बताया कि इन खामियों के चलते नवजात शिशुओं को गंभीर संक्रमण, समय से पहले जन्म और अन्य जटिलताओं के इलाज में कठिनाई हो रही है। कई मामलों में जीवन रक्षक दवाएं न मिलने के कारण बच्चों की स्थिति बिगड़ रही है।