शिवशक्ति कॉलेज फर्जीवाड़ा: बिना बिल्डिंग के 14 साल से चल रहे कॉलेज पर FIR, जेयू करेगा सभी की जांच
ग्वालियर के झुंडपुरा स्थित शिवशक्ति कॉलेज में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। बिना बिल्डिंग के पिछले 14 वर्षों से संचालित इस कॉलेज में न तो प्राचार्य था, न ही शिक्षक। इस मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) ने जीवाजी विश्वविद्यालय (जेयू) के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी समेत 17 प्रोफेसरों पर एफआईआर दर्ज की है।
फर्जीवाड़ा कैसे हुआ?
शिवशक्ति कॉलेज बिना किसी आधारभूत संरचना के 14 साल से संचालित हो रहा था। कॉलेज को जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्धता दी गई थी। इस दौरान यहां 1100 छात्रों का पंजीकरण हुआ, जबकि पढ़ाई और शिक्षकों की कोई व्यवस्था नहीं थी।
ईओडब्ल्यू ने शुरू की जांच
फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की। शुरुआती जांच में पाया गया कि कॉलेज को मान्यता दिलाने और इसे संचालित करने में जीवाजी विश्वविद्यालय के अधिकारियों और प्रोफेसरों की भूमिका रही है।
कुलपति समेत 17 पर FIR
ईओडब्ल्यू ने कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी, रजिस्ट्रार, और संबद्धता देने वाले 17 अन्य प्रोफेसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए कॉलेज को मान्यता दी और उसकी गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया।
जेयू करेगा सभी कॉलेजों की जांच
इस फर्जीवाड़े के उजागर होने के बाद जीवाजी विश्वविद्यालय ने शिवशक्ति कॉलेज के साथ-साथ संचालक के अन्य 5 कॉलेजों की जांच कराने का फैसला लिया है। इन कॉलेजों में भी शिक्षकों, प्राचार्य, और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी पाई गई है।
छात्रों के भविष्य पर संकट
कॉलेज में पढ़ने वाले 1100 छात्रों के भविष्य पर अब सवाल खड़ा हो गया है। इन छात्रों की डिग्री और उनके पंजीकरण को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने विचार शुरू कर दिया है।
फर्जीवाड़े से उठे सवाल
यह मामला शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। बिना बुनियादी ढांचे और योग्य स्टाफ के कॉलेजों को मान्यता देना न केवल प्रशासन की नाकामी को दिखाता है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।
ईओडब्ल्यू का बयान
ईओडब्ल्यू का कहना है कि इस मामले में गहराई से जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, और संबंधित कॉलेजों की गतिविधियों की निगरानी की जाएगी।