भारत में आर्थिक सुधारों के जनक: डॉ. मनमोहन सिंह एक महान अर्थशास्त्री और ईमानदार नेता
डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दिया। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में 1991 में ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण शामिल थे, जिसने भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर मजबूती से स्थापित किया। इसके बाद, प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत-अमेरिका परमाणु समझौता और महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) जैसी योजनाओं के जरिए भारत के विकास को नई दिशा दी। उनके कार्यकाल में भारत ने 8% की आर्थिक वृद्धि दर हासिल की और शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार किए। डॉ. सिंह की सादगी और दृढ़ नायकत्व ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक सम्मानित स्थान दिलाया।
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के एक ऐसे महान नेता रहे हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक बदलाव किए और देश को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी। उनकी जीवन यात्रा एक प्रेरणा है, जो न केवल उनके दृढ़ संकल्प और कठिन मेहनत का प्रतीक है, बल्कि भारतीय राजनीति में उनके योगदान को भी स्पष्ट रूप से दर्शाती है। आइए जानते हैं उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को, उनकी शैक्षिक यात्रा, वित्त मंत्री के रूप में योगदान, और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के अली सैयदपुर में हुआ था। उनका शिक्षा जीवन बेहद प्रेरणादायक था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की और इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से आर्थिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से DPhil (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) की डिग्री प्राप्त की, जहां उन्होंने अपने शोध में भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
उनकी गहरी आर्थिक समझ और विद्वता ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री के रूप में स्थापित किया। उन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया।
वित्त मंत्री के रूप में योगदान (1991-1996)
डॉ. मनमोहन सिंह का सबसे बड़ा योगदान वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में सामने आया, जब उन्होंने 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट से उबारने के लिए कई ऐतिहासिक सुधार किए।
- आर्थिक उदारीकरण (1991): डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नए दौर में प्रवेश कराया। उन्होंने भारत में आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीति को लागू किया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से जोड़ने का रास्ता खुला।
- विदेशी निवेश को बढ़ावा: उनकी नीतियों के कारण विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) भारत में आया, जिससे भारतीय बाजार में पूंजी और तकनीकी नवाचार का प्रवाह हुआ।
- आयकर और व्यापार सुधार: उन्होंने आयकर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम किया, और व्यापार पर लगने वाले बोझ को कम किया।
उनके इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने में मदद की।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान (2004-2014)
डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने देश को कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दीं और भारत को एक मजबूत वैश्विक शक्ति बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
- आर्थिक विकास: उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत ने औसतन 8% की आर्थिक विकास दर हासिल की। उनके नेतृत्व में भारत ने विकास के नए आयाम तय किए और लाखों भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): यह योजना ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा करने के लिए शुरू की गई थी, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली।
- सूचना का अधिकार (RTI): डॉ. सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद सूचना का अधिकार (RTI) कानून लागू किया गया, जिसने भारतीय नागरिकों को सरकारी कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने का अधिकार दिया।
- भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (2008): उनके नेतृत्व में भारत ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौता किया, जिससे भारत को परमाणु ऊर्जा की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल होने का अवसर मिला।
- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार: उनकी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार करने के लिए कई योजनाओं को लागू किया, जिससे इन क्षेत्रों में सुधार हुआ और भारत की सामाजिक बुनियादी ढांचे को मजबूती मिली।
निष्कर्ष: एक ऐतिहासिक नेता
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रेरणा बने रहेंगे। उनकी नीतियाँ और सुधार भारत को एक नई दिशा देने में मददगार साबित हुईं। भले ही उन्हें कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने न केवल भारत को आर्थिक रूप से सशक्त किया, बल्कि भारतीय समाज के लिए भी कई सकारात्मक बदलाव किए।
उनकी सादगी, दृढ़ नायकत्व और व्यक्तित्व ने उन्हें भारत में एक सशक्त और सम्मानित नेता के रूप में स्थापित किया।
डॉ. मनमोहन सिंह की यह जीवित विरासत हमेशा भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अमिट छाप छोड़ जाएगी।