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अब्दुल करीम तेलगी SCAM 2003: एक घोटालेबाज जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया

साथियों, Digital Gwalior News आज क्राइम स्टोरी 5 के सीजन 1 में एक ऐसे चालाक घोटालेबाज़ की कहानी लेकर आया है जिसने एक ही रात में एक बार बाला पर 90 लाख रुपये उड़ा दिए थे। उसका नाम अब्दुल करीम तेलगी था, जिसने नकली स्टाम्प पेपर बनाकर बेचने का जाल फैलाया और भारत सरकार को लगभग ₹32,000 करोड़ (लगभग 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का नुकसान पहुंचाया। यह भारत के सबसे बड़े और चर्चित आर्थिक अपराधों में से एक था। 1990 के दशक में शुरू हुआ यह घोटाला 2000 के दशक की शुरुआत में उजागर हुआ, जिसमें तेलगी मुख्य मास्टरमाइंड के रूप में सामने आया।

अब्दुल करीम तेलगी का उत्थान

अब्दुल करीम तेलगी का जन्म 29 जुलाई 1961कर्नाटक के खानापुर में हुआ था। उसके पिता रेलवे थे पर पिता की मृत्यु के बाद उन्हे संघर्ष करना पड़ा | उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक रेलवे स्टेशन पर फल बेचने वाले के रूप में की थी। एक होनहार छात्र होने के बावजूद, आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने ज्यादा लाभकारी कामों की तलाश की। उन्होंने स्टांप पेपर का कानूनी व्यवसाय शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने लाइसेंस भी प्राप्त किया। हालांकि, जल्दी ही उन्होंने नकली स्टांप पेपर बनाने में मुनाफा देखा और बड़े पैमाने पर नकली स्टांप पेपर बनाना और बेचना शुरू कर दिया।

स्टांप पेपर घोटाले की शुरुआत

तेलगी ने शुरुआत में कानूनी तौर पर स्टांप पेपर का व्यवसाय किया, लेकिन जल्द ही ज्यादा मुनाफा पाने के चक्कर में उन्होंने नकली स्टांप पेपर बनाकर बचने का तरीका खोज लिया। उन्होंने अपने संपर्कों का उपयोग करके और सिस्टम को समझकर एक ऐसी योजना बनाई जिससे नकली स्टांप पेपर को असली स्टांप पेपर की जगह बेचा जा सके। उन्होंने इन नकली स्टांप पेपरों की इतनी बेहतरीन नक़ल बनाई कि इसे असली से पहचान पाना मुश्किल हो गया।

घोटाले का संचालन या तरीका

तेलगी का नकली स्टाम्प बनाने और बचने का काम बड़ा संगठित था इसमे वो सब भ्रष्टाचरियो और घूसखोर अधिकारी शामिल तेलगी का नकली स्टाम्प बनाने और बचने का काम बड़ा संगठित था इसमे वो सब भ्रष्टाचरियो और घूसखोर अधिकारी शामिल थे इस तरीके से तेलगी कई सालों तक बिना पकड़े काम करते रहे।

  1. प्रिंटिंग मशीनों की हासिल की प्रक्रिया

तेलगी ने नासिक सिक्योरिटी प्रेस की वही मशीनें हासिल कीं, जिनसे असली स्टांप पेपर छापे जाते थे। उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों के नेटवर्क की मदद से यह मशीनें प्राप्त कीं, जिससे वे उच्च गुणवत्ता वाले नकली स्टांप पेपर बना सके।

  1. जाली स्टांप पेपर का निर्माण

तेलगी की टीम ने असली स्टांप पेपर से बिल्कुल मिलते-जुलते नकली स्टांप पेपर तैयार किए और उन्हें भारत भर में वितरित किया।

  1. जाली स्टांप पेपर वितरण तंत्र:

तेलगी ने स्टांप पेपरों के वितरण के लिए एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया, जिसमें कई बैंक, वित्तीय संस्थान और एजेंट शामिल थे। इनमें से कुछ लोग इस घोटाले में शामिल थे जबकि कई अनजाने थे।

  1. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी

  2. तेलगी ने पुलिस, न्यायपालिका और सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देकर अपने काम को सुचारू रूप से चलाने का प्रबंध किया। यह भ्रष्टाचार उन्हें कई सालों तक बिना किसी रुकावट के काम करने की अनुमति देता रहा।

भ्रष्ट अधिकारियों की संलिप्तता

तेलगी घोटाला सरकार और कानून प्रवर्तन के विभिन्न स्तरों पर व्यापक भ्रष्टाचार के कारण फल-फूल सका। कई अधिकारियों को या तो रिश्वत दी गई या फिर धमकाकर घोटाले का हिस्सा बनाया गया। कुछ पुलिस अधिकारी तो तेलगी को संरक्षण देते थे और उसके अवैध कामों को नजरअंदाज कर देते थे।

घोटाले का पर्दाफाश

घोटाले का पर्दाफाश 2002 में तब हुआ जब कुछ वित्तीय संस्थानों ने स्टांप पेपरों में अनियमितताएं पाईं। शुरुआती संदेह को नजरअंदाज कर दिया गया था, लेकिन खोजी पत्रकारों ने इस पर ध्यान दिया और नकली स्टांप पेपर की खबरें प्रकाशित कीं। इससे मामले की गहन जांच शुरू हुई।

विशेष जांच दल (SIT) की जिम्मेदारी

2002 में, महाराष्ट्र सरकार ने स्टांप पेपर वितरण में हो रही गड़बड़ियों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी श्रीकांत सावारकर के नेतृत्व में SIT ने मुंबई और पुणे में कई छापे मारे, जिसमें बड़ी मात्रा में नकली स्टांप पेपर मिले और तेलगी का नेटवर्क उजागर हुआ। इससे कई गिरफ्तारियां हुईं और यह घोटाला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया।

सीबीआई की जांच में सहयोग

घोटाले के देशव्यापी असर को देखते हुए, 2003 में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया। सीबीआई ने तेलगी और उनके सहयोगियों से पूछताछ की और घोटाले में शामिल भ्रष्टाचार और अधिकारियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं। तेलगी ने अपने बयान में अधिकारियों को घूस देने की बात स्वीकार की और यह भी बताया कि उन्होंने नासिक सिक्योरिटी प्रेस की मशीनें कैसे हासिल कीं।

उच्च स्तरीय गिरफ्तारियां और न्यायिक कार्यवाही

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, कई उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी, सरकारी अधिकारी और राजनेता गिरफ्तार किए गए, जिन्होंने तेलगी के कार्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता की थी। प्रमुख अभियुक्तों में से एक आर.एस. शर्मा थे, जो तेलगी के ऑपरेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। तेलगी और उसके सहयोगियों के खिलाफ कई राज्यों में मुकदमे शुरू हुए, जिसमें जालसाजी, नकली दस्तावेज़ तैयार करने और संगठित अपराध जैसे आरोप शामिल थे।

तेलगी और उसके सहयोगियों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई

तेलगी घोटाले से संबंधित कानूनी लड़ाई काफी लंबी और जटिल थी, जिसमें कई राज्यों में अलग-अलग मामले दर्ज थे। 2007 में अब्दुल करीम तेलगी को 30 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई और ₹202 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। उसके कई सहयोगियों और सरकारी अधिकारियों को भी दोषी ठहराया गया, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में कई अपीलें और देरी हुई, जो कि भारत में उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों में आम है।

घोटाले से हुए नुकसान का दायरा

तेलगी घोटाले से हुए वित्तीय नुकसान बहुत बड़े थे। सरकारी एजेंसियां, वित्तीय संस्थान, और आम लोग जो असली स्टांप पेपरों पर निर्भर थे, सभी प्रभावित हुए। इस घोटाले ने इन संस्थानों में जनता के विश्वास को बुरी तरह हिला दिया और भारत की वित्तीय और नियामक प्रणालियों की खामियों को उजागर किया।

भारत की वित्तीय और कानूनी व्यवस्था पर प्रभाव

घोटाले के बाद, भारतीय सरकार ने इसी तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए। सबसे प्रमुख सुधारों में से एक था ई-स्टांपिंग की शुरुआत, जिससे भौतिक स्टांप पेपर की जगह एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली लागू की गई। इससे नकली स्टांप पेपर बनाना मुश्किल हो गया और वित्तीय लेन-देन में अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित हुई।

न्यायिक सुधार और भ्रष्टाचार निवारक उपाय

तेलगी घोटाले ने यह भी उजागर किया कि वित्तीय धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों को संभालने में न्यायिक सुधारों की कितनी आवश्यकता है। भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए भ्रष्टाचार-रोधी सख्त कदम उठाए गए और संवेदनशील पदों पर बैठे अधिकारियों की सख्त जांच की गई।

समाज पर घोटाले के परिणाम

तेलगी घोटाले के उजागर होने के बाद जनता में जबरदस्त आक्रोश था। उच्च पदस्थ अधिकारियों की संलिप्तता और घोटाले के पैमाने ने प्रशासन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को जन्म दिया। इसके परिणामस्वरूप सरकार ने निगरानी को बेहतर बनाने और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को कम करने के लिए कई सिस्टम में बदलाव किए।

तेलगी की बार डांसर के प्रति दीवानगी"

ऊपर बताए गए किस्से से अधिकांश लोग परिचित हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि तेलगी का एक बार डांसर के साथ रोमांटिक रिश्ता था। इस प्रेम की वजह से वह उस समय की सबसे अमीर बार डांसर बन गई।

कई मीडिया रिपोर्टों और पुलिस जांच के अनुसार, अब्दुल करीम तेलगी अक्सर मुंबई के टोपाज़ बार में जाता था, जो अपने डांसरों के लिए मशहूर था, जो बॉलीवुड की प्रमुख महिलाओं से मिलते-जुलते थे। उनमें से एक डांसर तरन्नुम खान थी, जो प्रसिद्ध अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के काफी समान थी।

तेलगी तरन्नुम पर इस कदर मोहित हो गया कि 31 दिसंबर, 2000 की रात उसने उस पर 90 लाख रुपये खर्च कर दिए। इस असाधारण इशारे के कारण तरन्नुम एक ही रात में भारतीय इतिहास की सबसे अधिक कमाई करने वाली बार डांसर बन गई।

निष्कर्ष निकाल

तेलगी घोटाला लालच और प्रणालीगत भ्रष्टाचार के खतरों के बारे में एक चेतावनी के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। इस घोटाले ने भारत की वित्तीय और प्रशासनिक प्रणालियों में गहरी खामियों को उजागर किया, लेकिन साथ ही इसने कई सुधारों को प्रेरित किया जो भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए किए गए थे। लंबे कानूनी संघर्ष के बावजूद, न्यायपालिका ने न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब्दुल करीम तेलगी की कहानी इस बात का सबक है कि सार्वजनिक प्रशासन में सतर्कता, ईमानदारी और जवाबदेही कितनी महत्वपूर्ण है।