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रोहित सिंह: ग्वालियर का गौरव, भारत की शान

ग्वालियर के प्रतिभाशाली आर्म रेसलर रोहित सिंह ने उज्बेकिस्तान में आयोजित वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल भारत बल्कि अपने गृहनगर का भी नाम विश्व पटल पर रोशन किया। यह उपलब्धि उनकी अटूट इच्छाशक्ति, कठोर परिश्रम और अडिग संकल्प का प्रमाण है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रोहित का जन्म ग्वालियर में हुआ, जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट क्वीन पब्लिक स्कूल और गोगा जी पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। बचपन से ही वे खेल और क्रिएटिव आर्ट्स में रुचि रखते थे, लेकिन अवसरों की कमी के कारण उन्हें अपने सपनों को साकार करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने राजा मानसिंह कॉलेज में क्राफ्ट से संबंधित कोर्स करने की इच्छा जताई, लेकिन वहां यह विकल्प उपलब्ध नहीं था।

संघर्ष और चुनौतियाँ

दिव्यांगता जैसी चुनौती को दरकिनार करते हुए, रोहित ने अपने कौशल को निखारने के लिए कई क्षेत्रों में हाथ आजमाया। उन्होंने जिम में प्रशिक्षण लिया और तैराकी में भी खुद को साबित करने की कोशिश की, लेकिन शारीरिक बाधाओं के कारण लंबे समय तक इसे जारी नहीं रख सके। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार नए अवसरों की तलाश में लगे रहे।

आर्म रेसलिंग में प्रवेश: बदलते भाग्य की कहानी

एक दिन उनकी मुलाकात मनीष जी से हुई, जिन्होंने उन्हें आर्म रेसलिंग में करियर बनाने की प्रेरणा दी। इस मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। मनीष सर के मार्गदर्शन और रोहित की अथक मेहनत ने उन्हें इस खेल में निपुण बना दिया। समर्पण, अनुशासन और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हुए, उन्होंने अपनी प्रतिभा को साबित किया और आज वे देश के सबसे होनहार आर्म रेसलर्स में से एक बन चुके हैं।

प्रशासन से अपील: एक सच्चे चैंपियन को सम्मान दें

जहां एक ओर रोहित ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया, वहीं दूसरी ओर कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके हौसले को कमजोर करने की कोशिश की। हैरानी की बात यह है कि ग्वालियर के एक SDM, जिनकी पहचान उजागर हो रही है, ने न केवल उन्हें प्रोत्साहित करने में असफलता दिखाई, बल्कि उनके माता-पिता को अपमानित कर उनका मनोबल गिराने की कोशिश भी की।

यह निंदनीय है कि एक ऐसा खिलाड़ी, जिसने अपनी दिव्यांगता को मात देकर देश के लिए स्वर्ण पदक जीता, उसे इस तरह की उपेक्षा और अपमान का सामना करना पड़े। हम ग्वालियर प्रशासन, माननीय कलेक्टर महोदय, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी और मुख्यमंत्री जी से आग्रह करते हैं कि इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया जाए और रोहित सिंह को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हरसंभव सहायता प्रदान की जाए।

भारत और मध्य प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं, और ऐसे असाधारण खिलाड़ियों को सम्मान, सहयोग और प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

निष्कर्ष

रोहित सिंह की सफलता सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि उनके मार्गदर्शक मनीष सर, उनके परिवार और पूरे ग्वालियर की जीत है। यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे दृढ़ संकल्प, संघर्ष और सही मार्गदर्शन मिलकर किसी को भी सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं। हम आशा करते हैं कि सरकार और प्रशासन रोहित की प्रतिभा को संजोएंगे और उन्हें आने वाले वर्षों में और भी बड़े गौरवशाली अवसरों तक पहुँचाने में मदद करेंगे। ग्वालियर के इस सितारे को वह पहचान और सहयोग अवश्य मिलना चाहिए, जिसके वे हकदार हैं! 🚀🏆

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