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ग्वालियर: 'दाता बंदी छोड़ द्वार' के नाम से जाना जाएगा नगर द्वार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को ग्वालियर-मुरैना मार्ग पर स्थित ग्वालियर शहर के नगर द्वार का नाम सिखों के छठवें गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह जी के सम्मान में 'दाता बंदी छोड़ द्वार' रखने की घोषणा की। यह निर्णय गुरु हरगोविंद सिंह जी द्वारा ग्वालियर किले से 52 राजाओं को मुक्त कराने की ऐतिहासिक घटना की स्मृति में लिया गया है।

गुरु हरगोविंद सिंह जी को सम्मान

गुरु हरगोविंद सिंह जी को 'दाता बंदी छोड़' के नाम से जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ग्वालियर किले में कैद 52 राजाओं को स्वतंत्र कराया था। इसी ऐतिहासिक घटना को श्रद्धांजलि देते हुए नगर द्वार का नाम 'दाता बंदी छोड़ द्वार' रखा गया है।

समारोह में मुख्यमंत्री ने की घोषणा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा, "गुरु हरगोविंद सिंह जी ने न्याय और स्वतंत्रता के लिए जो योगदान दिया, वह अनुकरणीय है। ग्वालियर किले की यह घटना हमें धर्म, त्याग और मानवता की सीख देती है। 'दाता बंदी छोड़ द्वार' नामकरण से हमारी आने वाली पीढ़ी भी इस ऐतिहासिक घटना से प्रेरित होगी।"

धार्मिक समुदाय में हर्षोल्लास

मुख्यमंत्री की इस घोषणा का स्वागत सिख समुदाय सहित ग्वालियर के सभी नागरिकों ने हर्षोल्लास के साथ किया। इस मौके पर धार्मिक नेताओं और समाजसेवियों ने भी इस कदम की सराहना की।

ग्वालियर किले का ऐतिहासिक महत्व

ग्वालियर किला भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां गुरु हरगोविंद सिंह जी को मुगलों द्वारा कैद किया गया था, लेकिन अपनी कूटनीति और साहस से उन्होंने न केवल खुद को मुक्त कराया, बल्कि 52 राजाओं को भी रिहा कराया। उनकी इसी महानता के कारण उन्हें 'दाता बंदी छोड़' की उपाधि दी गई।

स्मारक और कार्यक्रम की योजना

सरकार ने 'दाता बंदी छोड़ द्वार' के आसपास एक स्मारक बनाने की योजना भी बनाई है, जहां गुरु हरगोविंद सिंह जी के बलिदान और साहस की गाथाएं चित्रित की जाएंगी। इसके अलावा, हर वर्ष 'दाता बंदी छोड़ दिवस' पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोगों ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा, "ग्वालियर की धरती को गुरु हरगोविंद सिंह जी का आशीर्वाद मिला है। यह नामकरण उनके बलिदान को अमर बनाएगा और युवाओं को प्रेरित करेगा।"

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