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ग्वालियर में एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से बढ़ी परेशानी: पुरानी बाइकों के कार्बोरेटर खराब, मेंटेनेंस खर्च में इजाफा

ग्वालियर: पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा 12% से बढ़कर 20% होने के कारण ग्वालियर में पुराने दोपहिया वाहनों के मालिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इंजन में खराबी और कार्बोरेटर के जल्दी खराब होने के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिससे मेंटेनेंस खर्च में भी इजाफा हुआ है।

इको-फ्रेंडली फ्यूल के नाम पर बढ़ी मुश्किलें

पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली फ्यूल बनाने के उद्देश्य से पेट्रोल में पहले 10% एथेनॉल मिलाया जाता था, लेकिन अब इसे 20% तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, यह मिश्रण नए वाहनों के लिए तो फायदेमंद हो सकता है, लेकिन पुराने दोपहिया वाहनों के इंजन इसे सहन नहीं कर पा रहे हैं।

इंजन और कार्बोरेटर पर सीधा असर

विशेषज्ञों के अनुसार, एथेनॉल की मात्रा बढ़ने से पेट्रोल की जलने की क्षमता बदल जाती है, जिससे इंजन में पावर कम हो जाती है और कार्बोरेटर में जंग लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसके चलते कार्बोरेटर को बार-बार साफ करवाना पड़ रहा है, जिससे मेंटेनेंस का खर्च भी बढ़ रहा है।

बाइक मालिकों की बढ़ती परेशानी

पुरानी बाइक के मालिकों का कहना है कि पहले जहां साल में एक बार सर्विस करानी पड़ती थी, अब दो से तीन बार कार्बोरेटर की सफाई और मरम्मत करानी पड़ रही है। इससे न केवल समय की बर्बादी हो रही है, बल्कि आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों की सलाह

वाहन विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने वाहनों के मालिकों को एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के इस्तेमाल से बचने या फिर उच्च गुणवत्ता वाले कार्बोरेटर क्लीन्सर का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा, इंजन के बेहतर रखरखाव के लिए समय-समय पर सर्विस करानी चाहिए।

प्रशासन से राहत की उम्मीद

पुराने वाहनों के मालिकों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि या तो एथेनॉल की मात्रा को पहले की तरह 10% किया जाए या फिर पुराने वाहनों के लिए विशेष एडिटिव्स उपलब्ध कराए जाएं, जिससे इंजन और कार्बोरेटर को सुरक्षित रखा जा सके।

निष्कर्ष

एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से पर्यावरण को लाभ मिल रहा है, लेकिन पुराने दोपहिया वाहनों के लिए यह समस्या का कारण बनता जा रहा है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस समस्या का समाधान खोजे ताकि वाहन मालिकों को राहत मिल सके।