साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता ज़रूरी: अटल बिहारी वाजपेयी - भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान ग्वालियर के लेडीज़ क्लब के द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया।
साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता ज़रूरी
साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता ज़रूरी – वंदना सिंह
साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूक करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी - भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान ग्वालियर के लेडीज़ क्लब के द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया।
ग्वालियर : एबीवी - आई. आई. आई. टी. एम. ग्वालियर संस्थान के लेडीज़ क्लब के तत्वावधान से साइबर अपराधों से जनता को सतर्क करने के लिए एक नई पहल शुरू की गयी है। संस्थान के एम डी पी सेंटर में संस्थान में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए, उन्हें आजकल हो रहे साइबर क्राइम से अवगत करने हेतु कार्यशाला का आयोजन हुआ जिसमें संस्थान के व्याख्याता डॉ. मनोज दाश ने अपना व्याख्यान दिया। संस्थान के निदेशक महोदय प्रो. श्री निवास सिंह की गरिमामई उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी सफल बनाया। उन्होने क्लब के सदस्यों को उनके इस सरहनीय कदम के लिए बधाई दी। लेडीज़ क्लब की अध्यक्षा श्रीमति वंदना सिंह के मार्गदर्शन में तथा उन्हीं के सुझाव से यह संगोष्ठी आयोजित हुई। जब उन्होनें देखा कि उनके आस पास के लोग जो कि टेक्नालजी से अनभिज्ञ है वो जब इस साइबर अपराध का शिकार हो रहे हैं तो उन्होने इस प्रकार के लोगों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करने हेतु पहल की। इस अवसर पर माधुरी पटनायक, तुलिका श्रीवास्तव, रीना श्रीवास्तव, डॉ. अनुराज सिंह, सूजी जेंकिन, रिचा, ज्योति राठौर, इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित रहीं।
साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूक करने के लिए डॉ. मनोज दाश ने एक प्रभावशाली व्याख्यान दिया एवं पीपीटी के माध्यम से चित्रों के ज़रिये साइबर क्राइम से संबन्धित जानकारी दी। उन्होने आजकल हो रहे अपराधों का भी उदाहरण देते हुए सभी को जागरूक किया। उन्होने बताया कि साइबर अपराधों से जनता को सतर्क करने के लिए सरकार ने एक नई पहल शुरू की है जिसमें गृह मंत्रालय के अंतर्गत नोडल एजेंसी आई4सी (इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर) ने दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया है कि सभी टेलीकॉम कंपनियां जागरूकता फैलाने के लिए कॉलर ट्यून और प्री-कॉलर ट्यून लगाएं। यह कॉलर ट्यून दिन में आठ से 10 बार बजती हैं और इसके माध्यम से नागरिकों को साइबर अपराधों से बचाव के लिए महत्वपूर्ण संदेश सुनाए जाते हैं। इन संदेशों में नागरिकों को सतर्क किया जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी या जज बनकर फोन या वीडियो कॉल करे तो उस पर भरोसा न करें। साइबर क्राइम से जुड़े कुछ उदाहरण हैं: हैकिंग, डिजिटल अरैस्ट, वायरस हमला, साइबर आतंकवाद, आईपीआर उल्लंघन, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, पोर्नोग्राफ़ी इत्यादि।
निदेशक प्रो. सिंह ने बताया कि साइबर क्राइम एक कंप्यूटर या कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़ा अपराध है। कंप्यूटर का उपयोग अपराध करने में किया जाता है । साइबर अपराध किसी की सुरक्षा या वित्त को नुकसान पहुंचा सकता है। साइबर अपराध 'मानवता के साथ नंबर एक समस्या' के रूप में उभर कर आया है और यह 'मानवता के लिए वास्तविक जोखिम पैदा करता है' । उन्होने बधाई देते हुए कहा कि बढ़ते साइबर अपराधों के खिलाफ जनता को सतर्क करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रकार के जागरूकता अभियान कि नई पहल एक सरहनीय कदम है।
श्रीमति वंदना सिंह ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बाद से ई-कॉमर्स और मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग ने साइबर अपराधों में भारी वृद्धि की है। पहले जहां साइबर अपराध 5% से कम थे, वहीं अब यह 40% या इससे भी अधिक हो गए हैं। उन्होने वहाँ पर उपस्थित श्रोता अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों से खुली बातचीत करें और उन्हें विश्वास दिलाएं कि वे अपनी समस्याएं घर पर साझा कर सकते हैं। उन्होने बताया कि साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतें भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की वेबसाइट पर दर्ज कराई जा सकती हैं। वित्तीय साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतें राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की जा सकती हैं।
इस कार्यक्रम में अपराध से बचने के तरीके बताए गये। फर्जी कॉलों की पहचान करने के लिए भी अवगत कराया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ आपराधिक प्रवृति के लोग साइबर अपराधों में संलग्न होते हैं, जिनमें जासूसी, वित्तीय चोरी और अन्य सीमा पार अपराध शामिल होते हैं, इसके बारे में भी जागरूक किया गया। पीपी टी में दर्शाये गये चित्रों के माध्यम से साइबर सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। सभी ने साइबर अपराध से बचाव और जागरूकता का संदेश लेकर अपने आपको भविष्य में सतर्क रखने हेतु संकल्प लिया। यह जानकारी संस्थान की मीडिया प्रभारी श्रीमती दीपा सिंह सिसोदिया के द्वारा दी गयी।